जीत पर बुमराह का कैप्टन की पीठ थपथपाना, विराट का यूं मुस्कुराहट चुराना... भारत की तेज गेंदबाजी के लिए यह गर्व का पल है
सेंचुरियनतारीख- 30 दिसंबर 2021, जगह- सुपरस्पोर्ट्स पार्क पहले टेस्ट का आखिरी दिन, साउथ अफ्रीका का 10वां विकेट गिर चुका है। इस साल गाबा के बाद अब सेंचुरियन का घमंड टूटा है। टीम इंडिया ने पहली बार यहां तिरंगा फहराया है। ये जीत ऐतिहासिक है, लेकिन भारतीय खेमा पूरी तरह कूल। शायद टीम इंडिया के सूरमा अब विदेशों में ऐसी जीत की आदत पड़ चुकी है। 2021 में विदेश में प्रदर्शन जसप्रीत बुमराह टेस्ट 6, ओवर 224, विकेट 26, बेस्ट 5/64, एवरेज 22.11 मोहम्मद शमीटेस्ट 5, ओवर 166.4, विकेट 23, बेस्ट 5/44, एवरेज 22.47 मोहम्मद सिराज टेस्ट 7, ओवर 257.5, विकेट 25, बेस्ट 5/73, एवरेज 33.16 विदेशों में जीतना अब कोई नई बात नहीं चलिए अब आपको इस जीत के शिल्पकारों में से एक जसप्रीत बुमराह के पास लेकर चलते हैं। जो मैदान पर सामान्य तरीके से चलते हुए कप्तान कोहली के पास पहुंचते हैं, उनकी पीठ थपथपाकर खुशी का इजहार करते हैं। मगर कोहली मुस्कुराहट चुरा लेते हैं, जो यह बताता है कि भारत को कितनी मुश्किल और कड़ी मेहनत से गेंदबाजी का यह गोल्डन पल मिला है। इसमें नाराजगी नहीं, बल्कि बेहद कड़ी मेहनत के बाद उस पल को इंजॉय करने का तरीका है। अपने पास दुनिया का सबसे बेस्ट बोलिंग अटैकएक दौर था जब भारत विदेशों पिचों पर एक अदद जीत के लिए तरसता है। बल्लेबाजी तो शुरू से हमारे पास वर्ल्ड क्लास रही, लेकिन एक्सपर्ट गेंदबाजी यूनिट को कमजोर बताते। खासतौर पर पेस अटैक। वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड तो छोड़िए हमारे पास कभी पाकिस्तान जैसा खतरनाक आक्रमण भी नहीं रहा। मगर अब वक्त बदल चुका है इस पेस अटैक से अपनी टीम भी खाती है खौफविपक्षी टीम को उनकी धरती पर दोनों इनिंग्स में आउट नहीं करने की कमजोरी अक्सर उभरकर सामने आती थी। आज आलम यह है कि दिग्गज सचिन तेंदुलकर दुनिया में कहीं भी 20 विकेट लेने की क्षमता के लिए इन भारतीय गेंदबाजों की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। बकौल तेंदुलकर, 'दुनिया में कहीं भी एक टेस्ट मैच में 20 विकेट लेने की क्षमता रखने वाले अटैक ने शानदार बोलिंग की।' ये जीत क्यों है ऐतिहासिक इतिहास में तीसरी बार केवल ऐसा हुआ है 1958 के बाद से कि साउथ अफ्रीका की टीम अपने किसी घरेलू टेस्ट मैच की दोनों इनिंग्स में 200 का आंकड़ा नहीं पार कर सकी है। साल 2002 में जोहानिसबर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐसा हुआ था जबकि इस सेंचुरियन टेस्ट से पहले भारत ने ही 2018 में जोहानिसबर्ग में ऐसा किया था आपस में कॉम्पिटिशन करते हैं बोलर्स सेंचुरियन फतह के हीरो केएल राहुल से टीम की पेस बोलिंग तिकड़ी (मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमरा और मोहम्मद सिराज) के बारे में पूछा गया कि क्या उनको खुशी है कि इन तीनों को उन्हें मैच में नहीं बल्कि सिर्फ नेट्स में खेलना पड़ता है, इस पर भारतीय ओपनर का जवाब था, 'खुशी की बात है, लेकिन वैसे तो इनको नेट्स में खेलना ज्यादा मुश्किल है। हम तो नेट्स में भी इनका सामना करने का लुत्फ नहीं उठा पाते। ये लोग तो हमें डराकर ही रखते हैं। बोलिंग करते समय तो ये हमें अपनी टीम का मानते भी नहीं। ये हर समय प्रतिस्पर्धा के मूड में रहते हैं।' राहुल की इन बातों से समझा जा सकता है कि इस तिकड़ी की सफलता का राज क्या है। ऐसा पहली बार हुआ है टेस्ट क्रिकेट में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी टीम के फास्ट और स्पिन बोलर्स ने एक साल में सौ-सौ से अधिक विकेट लिए और वह भी 30 से कम के औसत से। इस साल भारत के पेस बोलर्स ने स्पिनर्स से अधिक सफलताएं अर्जित कीं। साल 2021 में खेले गए टेस्ट मैचों में भारतीय फास्ट बोलर्स ने 28.12 के औसत से 128 विकेट लिए जबकि स्पिनर्स ने 20.19 के औसत से 121 विकेट झटके। गौर करने वाली बात है कि विदेशी धरती पर ज्यादातर सफलताएं पेस बोलर्स के बूते मिलीं।
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