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क्रिकेट हो या कांग्रेस... फ्रंटफुट पर खेलने का अंदाज नहीं छोड़ पा रहे सिद्धू

नई दिल्ली साल 1987 की बात है। भारतीय क्रिकेट टीम फ्लाइट में थी। रवि शास्त्री ने की ओर अखबार बढ़ाते हुए कहा- 'हे, शैरी (सिद्धू का निकनेम)- देखो तुम्हारे लिए अखबार में कुछ लिखा है।' हेडिंग पढ़कर सिद्धू की आंखें भर आईं। जेहन में उसी बड़े पत्रकार का लिखे एक पुराने आर्टिकल की हेडिंग तैरने लगी। और उसके बाद सामने आज की तस्वीर। सिद्धू अपनी उस मेहनत को याद करने लगे जो उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए लगाई । मैदान पर बहा पसीना और कई बार खून भी। यह सब यादों के पिटारे से बाहर आने लगा। लेकिन, इन सबके बीच एक टीस भी थी। टीस कि उनके पिता यह सब देखने के लिए नहीं थे। पिता, जिनका सपना था कि उनका बेटा एक कामयाब क्रिकेटर बने। सिद्धू उस आर्टिकल की कीमत पहचान गए। उन्होंने उसे अपने घर के ड्राइंग रूम में फ्रेम करवाकर टांग लिया। नवजोत सिंह सिद्धू ने सुनाया किस्सायह किस्सा नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद सुनाया था। वह आर्टिकल की हेडिंग थी- फ्रॉम ए स्ट्रोकेलेस वंडर टू ए पाल्म ग्रूव हीटर। मशहूर खेल पत्रकार राजन बाला ने ही चार साल पहले साल 1983 में सिद्धू के लिए लिखा था- नवजोत सिंह सिद्ध- द स्ट्रोकलेस वंडर। सिद्धू ने अपना पहला टेस्ट मैच साल 1983 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। वे लगातार 2 मैचों में फ्लॉप रहे जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। सिद्धू की बैटिंग को देखकर माना गया कि वह नई गेंद नहीं खेल सकते। सिद्धू ने उस वर्ल्ड कप में 10 छक्के लगाएइस बीच सिद्धू के पिता का निधन हो गया। वह सिद्धू को कामयाब क्रिकेटर बनते नहीं देख पाए। हालांकि सिद्धू ने ठान लिया कि वह अब कामयाब होकर रहेंगे। उन्होंने खूब मेहनत की और 1987 के वर्ल्ड कप टीम में जगह बनाई। यहां उन्होंने लगातार पांच अर्धशतक लगाकर तब का रेकॉर्ड बनाया। सिद्धू ने उस वर्ल्ड कप में 10 छक्के लगाए। पिता जी को ऐसे कराते थे भ्रमसिद्धू बताते थे जब उनके पिता उन्हें प्रैक्टिस के लिए भेजते तो वह मैदान पर जाने के बजाय दोस्तों के साथ घूमने चले जाते। पिता के पास आते समय वह कपड़ों पर पानी छिड़क लेते थे ताकि पसीने का भ्रम हो सके। पहले शांत रहते थे नवजोति सिंह सिद्धूसिद्धू जो कॉमेंट्री और टीवी पर अपनी हाजिर जवाबी और कई बार बड़बोलेपन की वजह से चर्चा में रहते हैं, वह कभी बेहद शांत हुआ करते थे। चुपचाप रहने वाले। कपिल शर्मा शो में उनकी पत्नी नवजोत कौर ने ही बताया था कि वह उनकी सहेलियों के आने पर बाथरूम में घुस जाया करते। शर्माना सिद्धू का स्वभाव था। पर उस शर्मीले, चुप रहने वाले सिद्धू कैसे अपनी जुबां की कलाकारी दिखाने लगे यह उन्हें जानने वालों को हैरान करता है। फील्ड में गए विवादों से नाताहालांकि सिद्धू जिस भी फील्ड में गए विवादों से उनका नाता रहा। क्रिकेट की दुनिया में 1999 के इंग्लैंड दौरे पर अजहरुद्दीन के साथ लड़ाई के बाद वह भारत लौट आए। कप्तान अजहर को इस बात का पता ही नहीं था सिद्धू वापस चले गए हैं। इसके बाद वह कभी टीम का हिस्सा नहीं बने। फील्डिंग से सिद्धू को 'कोफ्त' होती थी। हालांकि उन्होंने इस पर मेहनत की और 'जोंटी सिद्धू' बने। जेफ्री बॉयकॉट के साथ उनका विवादसिद्धू इसके बाद टीवी कॉमेंट्री में पहुंचे। यहां इंग्लैंड के मशहूर बल्लेबाज जेफ्री बॉयकॉट के साथ उनका विवाद काफी चर्चित रहा। जब उन्होंने बॉयकॉट की उम्र को लेकर कॉमेंट किया। सिद्धू हालांकि इसे इंग्लिश कॉमेंट्री में 'गोरों' की दबंगई के खिलाफ अपना स्टैंड मानते रहे। सिद्धू एक बार ऑन एयर अपशब्द बोलने के आरोप में कॉमेंट्री पैनल से हटा दिए गए। राजनीति का रुखइसके बाद उन्होंने राजनीति का रुख किया। यहां भी उनका बड़बोलापन उनके खिलाफ गया। बीजेपी के टिकट पर अमृतसर से सांसद रहे। हालांकि जब पार्टी ने उस सीट से पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को उतारने का फैसला किया तो सिद्धू ने बगावती रुख अपनाया। नतीजा, पार्टी से बाहर का रास्ता। इसके बाद उनकी कशमकश जारी रही। आप के जाएं साथ या कांग्रेस का थामें हाथ। गेंद पर आगे बढ़कर खेलने का उनका अंदाजसिद्धू ने आखिर कांग्रेस में एंट्री की। और उनके आते ही पंजाब कांग्रेस में खलबली मची। पाकिस्तान जाकर वहां के सेनाध्यक्ष जनरल कमर बाजवा के गले लगने को लेकर सिद्धू की खूब आलोचना हुई। वह राजनीति को क्रिकेट समझने की भूल कर बैठे। हर गेंद पर आगे बढ़कर खेलने का उनका अंदाज यहां नहीं चला। वह क्रिकेट की उस सीख को भूल गए कि कुछ गेंदों को छोड़ना भी चाहिए। तभी नजरें जमती हैं। सिद्धू ऐसा नहीं कर पाए। उन्हें लगा कि फ्रंटफुट पर खेलना काम आएगा। उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। कप्तान से उनकी क्रिकेट में भी नहीं बनी थी और राजनीति में भी। सिद्धू का मास्टर स्ट्रोक है या वह मिस हिट कर गएअनबन के चलते अमरिंदर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। और आज मंगलवार को जब कांग्रेस दो नए नेताओं के स्वागत की तैयारियों में थी, सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के पद से त्यागपत्र देकर अलग विवाद पैदा कर दिया। सिद्धू की फितरत के कई रंग रहे हैं। खामोश सिद्धू से बातूनी सिद्धू, स्ट्रोकलेस वंडर से सिक्सर सिंह सिद्धू, फील्डिंग में बचने वाले सिद्धू से जोंटी सिद्धू तक। राजनीति में एक पार्टी की तारीफ करने वाले से लेकर उसे गरियाने तक। सिद्धू ने अपने शब्दकोश से कभी किसी की तारीफ की और कभी उसी को लपेट लिया। शब्द वही रहे लेकिन किरदार बदल गए। हालांकि यह सिद्धू का मास्टर स्ट्रोक है या वह मिस हिट कर गए हैं यह तो वक्त ही बताएगा। सिद्धू के ही अंदाज में कहें तो ओ गुरु, पानी में जितनी भी कोशिश कर लो मिलता नहीं तेल और राजनीति की पिच पर कहीं सिद्धू तो नहीं हो गए फेल... हां, इसमें ताली ठोकने की बात नहीं है...


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