पिथौरागढ़ भारतीय वीलचेयर क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और उत्तराखंड के मौजूदा कप्तान () इन दिनों पत्थर तोड़कर अपने परिवार की आजीविका जुटाने को मजबूर हैं। धामी पिथौरागढ़ जिले में स्थित अपने गांव रायकोट में मनरेगा योजना के तहत सड़क निर्माण में मजदूरी कर रहे हैं। लेकिन अब उनकी मुश्किलें जल्दी ही हल होती दिख रही हैं। पिथौरागढ़ के डीएम ने खेल अधिकारियों को धामी को तुरंत आर्थिक मदद मुहैया कराने को कहा है और उन्हें अब जल्दी ही राज्य की किसी स्वरोजगार योजना से लाभ मिलने की भी उम्मीद है। सोमवार को हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया में धामी की मजदूरी करने पर खबर छपी थी। अब स्थानीय प्रशासन उनकी मदद को आगे आया है। पिथौरागढ़ के डीएम डॉ. विजय कुमार जोगदांडे ने बताया, 'वर्तमान में उनके आर्थिक हालात खराब दिख रहे हैं। हमने जिला खेल अधिकारी को उन्हें तुरंत पैसा मुहैया कराने को कहा है। उन्हें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना या किसी और अन्य स्कीम के तहत लाभ दिया जाएगा, जिससे कि वे भविष्य में अपनी आजीविका जुटा सकें।' कोविड- 19 के चलते उनके सभी टूर्नमेंट स्थगित किए जा चुके हैं। धामी ने मीडिया को बताया, 'इन दिनों उन्हें एक तय टूर्नमेंट में भाग लेना था लेकिन कोविड- 19 के चलते इसे स्थगित कर दिया गया है। मैं सरकार से गुहार लगाना चाहता हूं कि मेरी शैक्षिक योग्यता के अनुसार मुझे नौकरी दी जाए।' मजदूरी शुरू करने से पहले धामी कुछ बच्चो को पिथौरागढ़ में ही क्रिकेट कोचिंग देते थे। लेकिन लॉकडाउन के चलते बच्चो ने आना छोड़ दिया, जिसके बाद वह भी अपने गांव लौट आए। उनके घर पर बूढ़े मां-बाप के अलावा एक बहन और एक भाई भी है। लॉकडाउन से पहले भाई गुजरात के एक होटल में जॉब करता था लेकिन अब वह भी बेरोजगार है। परिवार के पास इस मुश्किल समय में घर का खर्च चलाने के लिए पैसे भी नहीं बचे थे, तो धामी ने फिर मनरेगा स्कीम के तहत गांव में मजदूरी करना शुरू किया।
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