नई दिल्ली टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर खिलाड़ी से भारतीय चयनकर्ताओं पर आरोप लगाया है कि उन्हें साल 2017 में पास करने के बावजूद टीम इंडिया में नहीं चुना गया था। 2011 वनडे वर्ल्ड कप में भारत की खिताबी जीत अहम योगदान निभाने वाले युवराज सिंह 2017 में वेस्ट इंडीज दौरे पर फ्लॉप साबित हुए थे इसके बाद टीम इंडिया में उन्हें दोबारा वापसी का कोई मौका नहीं मिला। टीम इंडिया में अपनी वापसी की राह तलाश रहे युवराज सिंह ने उन दिनों को याद करते हुए बताया, 'मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि चैंपियंस ट्रोफी 2017 के आसपास मैंने जो 8 या 9 मैच खेले थे, जिनमें दो बार मैं मैन ऑफ द मैच भी रहा था। इसके बावजूद मुझे टीम से बाहर कर दिया जाएगा।' युवी ने बताया, 'मैं चोटिल हो गया था और मुझे कहा गया कि मैं श्रीलंका दौरे की तैयारी करूं। फिर अचानक यो-यो टेस्ट पिक्चर में आ गया। मेरे सिलेक्शन में यह यू-टर्न साबित हुआ। अचानक ही मुझे वापस आना पड़ा और 36 की उम्र में यो-यो टेस्ट की तैयारी करनी पड़ी।' न्यूज चैनल आज तक से बात करते हुए इस स्टायलिश लेफ्ट हैंडर बैट्समैन ने बताया, 'यहां तक कि मैंने यो-यो टेस्ट भी पास कर लिया, फिर मुझे कहा गया कि घरेलू क्रिकेट खेलूं। उन्होंने शायद यही सोचा था कि अपनी उम्र के चलते मैं यह टेस्ट पास नहीं कर पाऊंगा। और इसके बाद मुझे टीम से बाहर रखने में उन्हें आसानी होगी... हां आप कह सकते हैं वह सारी प्रक्रिया मुझे बाहर रखने के लिए चल रही थी।' युवराज सिंह ने अपने इंटनैशनल करियर में 304 वनडे और 58 टी20 इंटनैशनल मैच खेले हैं, जिनमें क्रमश: 8,701 और 1,177 रन अपने नाम किए हैं। जनवरी 2017 में ही उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई घरेलू वनडे सीरीज में कटक के मैदान पर 127 बॉल में 150 रन की पारी खेली थी। युवी के वनडे करियर का यह सर्वोच्च स्कोर भी है। इसके बाद वह टीम से लगातार अंदर-बाहर होते रहे और उन्हें इंग्लैंड में आयोजित हुई चैंपियन्स ट्रोफी (2017) में खेलने का मौका मिला। चैंपियन्स ट्रोफी में भी युवराज से अपनी 4 पारियों में 35 के औसत से 105 रन बनाए थे। इसके बाद उन्हें वेस्ट इंडीज दौरे पर टीम में जगह मिली और यहां युवी खुद को साबित नहीं कर पाए। विंडीज दौरे में फ्लॉप होने के बाद मिडल ऑर्डर के इस स्टायलिश बल्लेबाज को टीम इंडिया में दोबारा फिर खेलने का मौका नहीं मिला। युवारज ने कहा कि उन्हें यह कभी नहीं बताया गया कि उन्हें टीम से बाहर किया जा सकता है और जिस अंदाज में उन्हें टीम से बाहर रखा गया उससे दुख होता है। युवराज सिंह ने अपने साथी खिलाड़ियों का भी जिक्र करते हुए टीम से बाहर रखे जाने के ढंग पर दुख जाहिर किया। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि जो लड़के 15-17 साल से इंटरनैशनल क्रिकेट खेल रहे हैं। उनसे उनके साथ बैठकर बात भी नहीं की जा रही। न तो किसी ने मुझे कभी यह बताया और न ही और जहीर खान को इस बारे में कुछ बताया गया था।' युवी ने कहा, 'कोई भी खिलाड़ी हो, जो भी व्यक्ति इन्चार्ज है उसे खिलाड़ियों के साथ बैठकर उन्हें यह बताना चाहिए कि अब हम युवा खिलाड़ियों की ओर देख रहे हैं और हमने यह निर्णय ले लिया है। इस तरह शुरुआत में शायद आपको यह बुरा लग सकता है लेकिन कम से कम आप इतना तो उन्हें श्रेय दे सकते हैं उन्होंने आपके मुंह पर सच बोला था- जो भारतीय क्रिकेट में बिल्कुल भी नहीं हो रहा।' युवराज सिंह ने कहा, 'भारतीय क्रिकेट में यह हमेशा ही होता रहा है। मैंने बड़े नामों के साथ ऐसा होते देखा है। मैं तब निजी रूप से ले सकता था लेकिन अब नहीं क्योंकि हर चीज के लिए एक समय होता है और अब मैं इससे बाहर आ चुका है मैंने अपनी शांति ढूंढ ली है।'
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