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आखिरकार वीजा की जंग हारे नोवाक जाकोविच, ऑस्ट्रेलिया छोड़ना पड़ा

मेलबर्न अदालत में निर्वासन के आदेश को चुनौती देने वाली अपील खारिज होने के बाद रविवार शाम को ऑस्ट्रेलिया से रवाना हो गये। फेडरल कोर्ट के तीन जजों ने रविवार को सर्बिया के 34 वर्षीय खिलाड़ी के वीजा को कोविड-19 के लिये टीकाकरण नहीं कराने के कारण जनहित के आधार पर रद्द करने के आव्रजन मंत्री अलेक्स हॉक के शुक्रवार को लिये गये फैसले को बरकरार रखा। इसके तुरंत बाद दुनिया के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी ने कहा कि वह इस फैसले से बहुत निराश हैं लेकिन इसका सम्मान करते हैं। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार जोकोविच को मेलबर्न हवाईअड्डे पर पहुंचते हुए देखा गया। वह एएनएम एमिरेट्स फ्लाइट से दुबई के लिये रवाना हुए, जहां से वह ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे। जोकोविच ने कहा, ‘मैं वीजा रद्द करने के मंत्री के फैसले की न्यायिक समीक्षा के लिये किये गये मेरे आवेदन को खारिज करने के अदालत के निर्णय से बेहद निराश हूं, जिसका अर्थ है कि मैं ऑस्ट्रेलिया में नहीं रह सकता और ऑस्ट्रेलियाई ओपन में भाग नहीं ले सकता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं और देश से अपनी वापसी को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ सहयोग करूंगा।’ जोकोविच ने कहा कि छह जनवरी को मेलबर्न पहुंचने पर पहली बार उनका वीजा रद्द किये जाने के बाद सभी का ध्यान उन पर था जिससे वह असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि अब सभी का ध्यान उस खेल और टूर्नामेंट पर केंद्रित होगा जिसे मैं प्यार करता हूं।’ टेनिस ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह ‘फेडरल कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है।’ और साथ ही कहा, ‘हम एक प्रतिस्पर्धी और रोमांचक ऑस्ट्रेलियाई ओपन 2022 के लिये तैयार हैं और सभी खिलाड़ियों को शुभकामनायें देते हैं।’ आमतौर पर निर्वासन के आदेश का मतलब व्यक्ति तीन साल तक वापस ऑस्ट्रेलिया नहीं लौट सकता है। सर्बिया में राष्ट्रपति एलेक्सांद्र वुसिच ने कहा कि सुनवाई ‘बहुत सारे झूठ के साथ एक तमाशा थी।’ उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘उन्हें लगता है कि उन्होंने 10 दिन तक जोकोविच को प्रताड़ित किया बल्कि वास्तव में उन्होंने खुद का अपमान किया। अगर आप कहते कि जिसने टीकाकरण नहीं कराया है, उसे प्रवेश करने का अधिकार नहीं है तो नोवाक नहीं आता या फिर टीकाकरण करवाता।’ उन्होंने कहा कि जोकोविच से बात करने के बाद उन्होंने कहा कि वह ‘उन्हें सर्बिया में अपने देश में देखने का इंतजार कर रहे हैं जहां उनका हमेशा स्वागत होता है।’ वुसिच ने हालांकि यह नहीं बताया कि क्या जोकोविच ने कहा है कि वह पहले सर्बिया आयेंगे या नहीं। मुख्य न्यायाधीश जेम्स ऑलसॉप ने कहा कि यह फैसला इस पर निर्भर करता है कि क्या मंत्री का निर्णय ‘तर्कहीन या कानूनी रूप से अनुचित’ था। ऑलसॉप ने कहा, ‘फैसले के गुण या ज्ञान पर फैसला करना अदालत के कार्य के अंतर्गत नहीं आता है।’ न्यायाधीशों के पैनल ने रविवार को अपने फैसले का लिखित स्पष्टीकरण नहीं दिया। ऑलसॉप ने कहा कि आगामी दिनों में इसे जारी कर दिया जाएगा। ऑलसॉप ने कहा, ‘यह सरकार के फैसले के खिलाफ अपील नहीं है। यह समीक्षा के लिये अदालत में दिया गया आवेदन था जिसमें मंत्री के फैसले की वैधता की समीक्षा करने को कहा गया था।’ जोकोविच को सरकार के अदालती खर्चे का भुगतान करने के लिये भी कहा गया है। मंत्री ने इस आधार पर वीजा रद्द कर दिया कि ऑस्ट्रेलिया में जोकोविच की उपस्थिति ऑस्ट्रेलियाई जनता के स्वास्थ्य और ‘अच्छे आदेश’ के लिये जोखिम भरा हो सकता है तथा इससे ऑस्ट्रेलिया में अन्य लोगों द्वारा टीकाकरण के प्रयासों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। हॉक ने रविवार को फैसले का स्वागत किया। उनके कार्यालय ने हालांकि यह नहीं बताया कि जोकोविच कब रवाना होंगे। उन्होंने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया की सीमा सुरक्षा से जुड़ी कड़ी नीतियों ने हमें महामारी के दौरान सुरक्षित रखा है, जिसका परिणाम सबसे कम मृत्यु दर, सबसे मजबूत आर्थिक सुधार और उच्चतम टीकाकरण दर है।’ जोकोविच हाईकोर्ट में अपील कर सकते थे लेकिन उनके पास इसके लिये समय नहीं है क्योंकि ऐसा करने पर भी वह ऑस्ट्रेलियाई ओपन में भाग नहीं ले पाएंगे। जोकोविच ने कहा, ‘मैं इस मामले में आगे कोई टिप्पणी करने से पहले कुछ समय तक विश्राम करना चाहूंगा।’ जोकोविच का वीजा पहले छह जनवरी को मेलबर्न पहुंचने पर रद्द कर दिया गया था। सीमा अधिकारी ने इस आधार पर जोकोविच का वीजा रद्द कर दिया था कि उन्हें टीकाकरण के बिना आने वाले आगंतुकों के लिये ऑस्ट्रेलिया के नियमों अनुसार चिकित्सा छूट नहीं मिली है। एक अदालत ने जोकोविच का वीजा रद्द करने के सीमा अधिकारी के आदेश पर उन्हें राहत प्रदान की थी लेकिन मंत्री ने इसके बाद अपने अधिकारों का उपयोग किया। हॉक के शुक्रवार को लिये गये फैसले के तीन घंटे के अंदर जोकोविच के वकीलों ने ‘फेडरल सर्किट एवं फेमिली कोर्ट’ में अपील दायर की थी। शनिवार को यह मामला फेडरल कोर्ट में भेज दिया गया था। तीनों जज ने रविवार को पांच घंटे तक मामले की सुनवाई की और दो घंटे बाद अपना फैसला सुनाया।


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