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वर्ल्ड कप में पाक से पहली हार, आज इन खिलाड़ियों को जरूर मिस कर रहा होगा हिंदुस्तान

नई दिल्ली भारत और पाकिस्तान के बीच टी-20 वर्ल्डकप का मुकाबला खेला गया। इस मुकाबले में पाकिस्तान ने भारत को करारी शिकस्त दी। आलम ये था कि भारतीय गेंदबाज पाकिस्तान का एक विकेट तक नहीं चटका पाए। पहले पाक गेंदबाजों के आगे बल्लेबाजों ने घुटने टेके और उसके बाद पाक बल्लेबाजों के आगे गेंदबाज पूरी तरह से सरेंडर मोड पर नजर आए। ये हार आज हर हिंदुस्तानी के दिल में साल रही होगी और ऐसे मौके पर भारतीय फैंस उन खिलाड़ियों को जरूर मिस कर रहे होंगे जो पाकिस्तान टीम की बखिया उधेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। रन, आंकड़ों की बात नहीं आज यहां पर हम रन, विकेट, आंकड़ों की बात नहीं करते हैं मगर उन खिलाड़ियों का जिक्र जरूर करेंगे जिनके मैदान पर उतरने से ही पाक क्रिकेटरों का आधा मनोबल खत्म हो जाता था। ये हम ज्यादा पहले नहीं बल्कि 2011 वर्ल्डकप के आस-पास की बात ही कर रहे हैं। इस दौरान टीम में कुछ ऐसे खिलाड़ी थे जिनके खेलने का तरीका ही ऐसा होता था कि वो आधा मैच तो अपनी बॉडी लैंग्वेंज से ही जीत लेते थे। ऐसे खिलाड़ियों के नाम हैं सचिन तेंडुलकर, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, गौतम गंभीर, जहीर खान, हरभजन सिंह और इरफान पठान। वीरेंद्र सहवाग के सामने कांपते थे गेंदबाजों के कदमखेल में हार-जीत लगी रहती है। ये बात हम सब जानते हैं फिर भी ये हार कोई भी भारतीय पचा नहीं पाता। याद भारतीय टीम के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की कमी खल रही होगी। मुल्तान का सुल्तान कहलाने वाले वीरू भारतीय टीम को ऐसी शुरूआत देते थे कि वो बूस्टर का काम करती थी। सहवाग लंबी पारियों के मशहूर नहीं थे मगर वो टीम को एक तेज शुरुआत देते थे। इससे दो फायदे होते थे। पहला ये कि टीम का रन रेट हमेशा 7 या 8 के आस-पास होता था और दूसरा गेंदबाज हावी नहीं हो पाते थे। सहवाग गेंदबाजों की लाइन लेंथ खराब करने में मशहूर थे। और उसका फायदा आगे आने वाले खिलाड़ियों को मिलता था। सहवाग ने 1999 में अपना पहला एकदिवसीय मैच खेला और 2015 में उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर संन्यास की घोषणा कर दी। युवराज के सिक्सर से दिन में तारे दिखते थे2007 टी-20 वर्ल्डकप और 2011 वर्ल्डकप जीत के नायक युवराज सिंह। चौथे नंबर पर आज तक इस खिलाड़ी की भरपाई करने वाला कोई खिलाड़ी नहीं मिला। यूं तो भारत की बेंच स्ट्रेंथ काफी अच्छी मानी जाती है। लेकिन काफी प्रयोग के बाद युवराज सिंह जैसा कोई खिलाड़ी नहीं मिला। मिडिल ऑर्डर टीम की जान होती है। जब सलामी बल्लेबाजी फ्लॉप होती है तो पूरा दारोमदार मिडिल ऑर्डर पर ही होता है। भारतीय टीम के पास आज तक चौथे नंबर के लिए कोई ऐसा बल्लेबाज नहीं है जो कि इस खिलाड़ी की कमी को पूरा करे। युवराज सिंह लेफ्टी खेलते थे और उनको क्रीज पर कुछ गेंदे जमने के लिए खेलना पड़ता था। स्पिनर्स के खिलाफ युवराज संघर्ष करते थे मगर वो भी कुछ ही देर। एक बार सेट हो जाने के बाद फिर गेंदबाजों की शामत आती थी और फिर युवराज सिंह के लंबे-लंबे सिक्सर भला कौन ही भूल सकता था। गंभीर बीमारी के बावजूद ये शेर खेलता रहा। झगड़ालू थे मगर टीम को देते थे सटीक शुरुआतगौतम गंभीर का नाम आप कभी नहीं भूल सकते। गंभीर और सहवाग की जोड़ी फेमस थी। ऐसी सलामी बल्लेबाजी कम ही देखने को मिलती है। एक छोर से सहवाग विस्फोट करते थे और गंभीर रुकते हुए शॉट खेलते थे। गंभीर अक्सर विवादों में देखा जाता था। वो जल्दी नाराज हो जाते थे। खास तौर पर जब सामने पाकिस्तानी खिलाड़ी हो तो गंभीर झगड़ने लगते थे। लेकिन इसके इतर गंभीर हमेशा टीम को सधी हुई शुरुआत देते थे। भारतीय टीम की सबसे बड़ी ताकत यही है कि उनको अगर अच्छी शुरुआत मिल जाती थी तो टीम अच्छा प्रदर्शन करती थी। गंभीर इसमें माहिर थे। वो बड़े शॉट्स भी खेलते थे और अगर स्थिति विपरीत होती थी तो गंभीर खुद को रोककर भी खेलते थे। 2011 विश्वकप फाइनल गंभीर की पारी कौन ही भूल सकता है। आज तक रोहित और धवन को भले ही बेस्ट ओपनर्स कहते हैं मगर वो बात नहीं जो सचिन, सहवाग और गंभीर के दौरान होती थी। गेंदबाजी कमजोर थी मगर फिर भी ये गेंदबाज थे हीरोगेंदबाजों की बात करें तो इरफान पठान, हरभजन सिंह और जहीर खान ऐसे गेंदबाज थे जो हमेशा से ही टीमों को परेशानियों में डाल देते थे। एक बात हमेशा टीम इंडिया के साथ खटकती रहती थी। इनकी गेंदबाजी हमेशा से ही कमजोर रहती थी मगर इसके बावजूद इस गेंदबाजों के आगे पाक खिलाड़ी घुटने टेकते थे। आज भारत की गेंदबाजी दुनिया की बेस्ट बॉलिंग लाइनअप कहा जा सकता है मगर रविवार को हुए मैच में भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी की गेंदबाजी बिल्कुल फीकी नजर आई। ऐसे मौके पर जब आपके सामने कोई विकल्प नहीं बचे है और विरोधी टीम के पास 10 विकेट बचे हैं और उनके 20 गेंदों पर 20 रन चाहिए हैं तो आप फुलटॉस नहीं दे सकते। शमी ने फुलटॉस की और सिक्स पड़ गया। मास्टर ब्लास्टर की तो क्या ही बात करेंसचिन तेंडुलकर का की तो क्या कहना। ये वो खिलाड़ी था जिसको देखने के लिए लोग क्रिकेट देखते थे। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर पाकिस्तान के खिलाफ हमेशा से ही विस्फोटक बल्लेबाजी करते थे। 2003 विश्व कप में उनकी 98 रनों की पारी भला कौन भूल सकता है। तेंडुलकर एक ऐसे खिलाड़ी थे जिनके नाम से ही विरोधी टीम धराशायी हो जाती थी। तेंडुलकर क्रीज पर बस बैट लिए खड़ा रहे तो सामने वाली टीम का मनोबल डाउन हो जाता था उसका कारण था उनकी सटीक बल्लेबाजी। गेंदबाज जानता था कि इस खिलाड़ी के सामने सारे पैंतरे फेल हो जाएंगे। तेंडुलकर का आज तक कोई सानी नहीं है। ये तो ऐसा क्रिकेटर है जो सदी में एक बार जन्म लेता है। पाकिस्तान टीम को तेंडुलकर ने कई बार धुला। पाक के खिलाफ सचिन का रेकॉर्डनवंबर 1989 को सचिन ने पाकिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान में ही भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया। इसके बाद का इतिहास, भूगोल, आंकड़े और रिकॉर्ड से हर कोई वाकिफ है। पाकिस्तान के खिलाफ अगर सचिन के रिकॉर्ड की बात करें, तो मास्टर ब्लास्टर ने पड़ोसी देश के खिलाफ 18 टेस्ट में 1057 रन 2 शतक और 7 अर्धशतक जमाए। वहीं वनडे में उन्होंने 69 मैच खेलते हुए 2526 रन ठोके, जिसमें 5 शतक और 16 अर्धशतक उनके बल्ले से निकले। बाकी सारे रिकॉर्ड्स तो आप वैसे भी जानते ही हैं।


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